Wednesday, September 26, 2007

नाग और नेवला

एक बार की है बात
नागजी से हुई नेवला की मुलाकात,
बातचित की हुई शुरुआत;
नेवला ने कहा प्रणाम
नागजी बोले राम-राम,
अरे नेवला
तुम्हारा नाम हमने बहुत सुना है
बोल तो सही तेरा 'credential' क्या है?

नेवला को 'english' भला आया नहीं
'credential' मतलब समझ पाया नहीं,
बोला नागजी
वैसे तो बहुत है
मगर आप अपनी बता देते
तो हम अपनी अनुमान लगा लेते;

नाग कुटिलता से हंसा
की नेवला बेचारा तो फंसा,
देखो पास है नागमणि ये
साथ में नागिन रानी ये,
मेरे कोप से मेढक,चूहे भागते हैं
कुछ तो रात-रात भर जागते हैं,
मेरे गरल-दंश से इंसान परेशान है
मनाता नाग-पंचमी, मानता भगवान् है;
शंकर का मित्र,विष्णु का सवारी
दुनिया कहती मैं हूँ इच्छाधारी;
बोलकर नागजी किए अट्टहास
नेवला रह गया चुपचाप,

वह सोच में पड़ गया
सोचकर अफ़सोस कर गया,
सचमुच उसे तो नागिन लोग भी प्यार करती है
मुझे तो देखते ही फुफकार भरती है,
लोग उसकी पूजा करते हैं
मुझे बच्चे भी छेड़ते हैं,
नागजी तो GOD आदमी है
मुझमें ही कुछ कमी है,
नाग हँसते-हँसते चला गया
नेवला सोचते ही रह गया.....

मैं --एक सवेरा

नही मैं सरगम संध्या की
ना ही निशा
का साया हूँ ,
मैं एक सवेरा इस युग का
धरती की धुन्धिल काया पर
किरणे मधुर फैलाता हूँ ;

नहीं पिटारी जादू की
ना ही कोई माया हूँ ,
मैं एक सपेरा इस युग का
सर्पों का भी मन बहलाने
चंचल बीन बजाता हूँ ;

नहीं मैं कोई कल्पना कोरी
ना ही किसी का छाया हूँ ,
मैं एक चितेरा इस युग का
पकड़ तुलिका इन हाथों में
रंगों को बिखराता हूँ ;

नहीं फरिस्ता इस दुनिया का
ना ही कुछ कहने आया हूँ ,
मैं एक लुटेरा इस युग का
लूट तुम्हारे भावों को
कविता नया बनाता हूँ