-और खेल खत्म होता है
खत्म होता है कोई जुनून,
मिलती है तो सिर्फ़ बर्बादी
पर बरबाद कौन होता है
कौन हँसता, कौन रोता है;
इस खेल में किसे क्या मिला
किसको शिकवा है किसे गिला,
सागर में तो भूचालों का
चलता रहता है कोई सिलसिला;
सागर शांत हो जाता है
लहरें थम सी जाती है,
पर सोचो उस बस्ती का भी
सदा-सदा जो मिट जाती है;
लहरों का सम्मान यही है
ये बस्ती कहीं मिटाता है,
सागर का अपमान यही है
कोई कश्ती नही डुबाता है;
पर अपमानों को सहकर भी
सागर क्या कर पाता है,
फिर लहरें कोई बलखाती है
भूचाल नया आ जाता है।
Friday, September 15, 2006
Monday, September 11, 2006
एक नज़र
ek nazar pichhle mahine par...
***malhar elims clear
final haaar gaya :((
*freshi cult orientation (hindi in speaker club roxxx)
****debating secy of h8(really a big battle...i felt the heat)
*sop box--most entrtning award...
**ek aur nazzariya (the best sophie prod...)
*meta freshi orientation (no comment...kavita roxxx)
**open elocution...5th prize (maayne to rakhta hai)
**MI competition (all hindi work ...see the site www.moodi.org )
***my article in aawaaz(me only from sophie batch..)
*only poem is there is mine...
*organizing GD sessions n working in hostel activity.
hmmmm aur kuchh baaki rah gaya kya...
***malhar elims clear
final haaar gaya :((
*freshi cult orientation (hindi in speaker club roxxx)
****debating secy of h8(really a big battle...i felt the heat)
*sop box--most entrtning award...
**ek aur nazzariya (the best sophie prod...)
*meta freshi orientation (no comment...kavita roxxx)
**open elocution...5th prize (maayne to rakhta hai)
**MI competition (all hindi work ...see the site www.moodi.org )
***my article in aawaaz(me only from sophie batch..)
*only poem is there is mine...
*organizing GD sessions n working in hostel activity.
hmmmm aur kuchh baaki rah gaya kya...
Tuesday, September 05, 2006
एक नज़रिया
पिंजरे के अंदर का पंछी
देख के दुनिया ललचाता है,
दुनिया उनको भा जाता है;
हम जाकर ये समझाते
दुनिया बाहर बहुत बुरी है,
पंछी नही समझ पाता है;
फ़िर जाकर ये समझाते
देखो पिंजरे की सुंदरता,
पंछी नही समझ पाता है;
कोशिश लाखें करो मगर
उनका नज़रिया नही बदलता,
नही बदलता, नही बदलता।
ek aur nazzariya...a sophie production.
देख के दुनिया ललचाता है,
दुनिया उनको भा जाता है;
हम जाकर ये समझाते
दुनिया बाहर बहुत बुरी है,
पंछी नही समझ पाता है;
फ़िर जाकर ये समझाते
देखो पिंजरे की सुंदरता,
पंछी नही समझ पाता है;
कोशिश लाखें करो मगर
उनका नज़रिया नही बदलता,
नही बदलता, नही बदलता।
ek aur nazzariya...a sophie production.
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