Saturday, August 18, 2007

याद
















उस मौसम की मस्ती में
हौले हौले तुम हंसती थी
उन यादों को भुला गया
तुमको भूल नही पाया ;

सावन की रिम-झिम
बूंदों ने
तेरे पायल की छन-छन को
स्मृति
-पटल पर फ़िर लाया
तुमको भूल नही पाया ;

बादल से ये नैन तुम्हारे
चंचल मन सुन्दर
चितवन
कंचन सी
तेरी वो काया
तुमको भूल नही पाया ;

इस दुनिया से दूर कही
सपनो को जहाँ भय नही
स्वप्न मूझे वहीं ले आया
तुमको भूल नही पाया ॥