कविता मैं क्या आज लिखूं
कि तेरे मन में उठे हिलोर ?
तस्वीर तुम्हारी है मन में
शब्दों में उसे सजाने दो,
उन शब्दों से गीत बनाकर
झूम के मुझको गाने दो ;
इन गीतों में वो प्रीत छुपी है
जो कर दे तुमको भाव-विहोर,
कविता मैं क्या आज लिखूं
कि तेरे मन में उठे हिलोर ?
मंडराए नभ में ये बादल
वन में नाचे कोई मोर,
इन्द्रधनुष के सात रंग में
छाए धरती चारों ओर ;
सावन के मतवाले बादल
गरज-गरज बरसे घनघोर,
कविता मैं क्या आज लिखूं
कि तेरे मन में उठे हिलोर ?
कि तेरे मन में उठे हिलोर ?
तस्वीर तुम्हारी है मन में
शब्दों में उसे सजाने दो,
उन शब्दों से गीत बनाकर
झूम के मुझको गाने दो ;
इन गीतों में वो प्रीत छुपी है
जो कर दे तुमको भाव-विहोर,
कविता मैं क्या आज लिखूं
कि तेरे मन में उठे हिलोर ?
मंडराए नभ में ये बादल
वन में नाचे कोई मोर,
इन्द्रधनुष के सात रंग में
छाए धरती चारों ओर ;
सावन के मतवाले बादल
गरज-गरज बरसे घनघोर,
कविता मैं क्या आज लिखूं
कि तेरे मन में उठे हिलोर ?
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