Tuesday, February 24, 2009

सच या सपना





सच में रहूँ या सपनों में
ये बात समझ नही पाता हूँ ;

सच भी मुझे बुलाता है
सपने भी मुझे बुलाते हैं,
सच भी मुझे रुलाता है
सपने भी मुझे रुलाते हैं;
सपनों में उलझ सा जाता हूँ
सच से भी धोखा खाता हूँ,
सच में रहूँ या सपनों में
ये बात समझ नही पाता हूँ ।

ये सपने तो क्षणभंगुर हैं
सच यही मुझे सुनाता है,
ये सच पर नीरस सा है
सपना यही मुझे दिखाता है;
सच की सुनूँ या सपने देखूं
इस द्वंद में मैं रह जाता हूँ,
सच में रहूँ या सपनों में
ये बात समझ नही पाता हूँ ।

Saturday, February 14, 2009

सितारों का जीवन ....THE STAR LIFE

सितारों में क्या देखते हो ?
या देखकर क्या सोचते हो ?
क्या तुमने अपने चिंतन में कभी उसे महसूस किया है ?

गौर से उसकी ओर देखो....
कभी आसपास के सितारों को
देख रहा है,
कभी धरा पर नज़र फ़ेंक रहा है
कि लोग उसे क्यों देख रहे हैं ?

कभी सूय ताप लेकर आ चमकता है,
कभी चाँद दर्प लेकर आ धमकता है ,
कभी बादल, कभी बिजली, कभी बारिश,
पता नहीं....वह कब संभलता है !

आज वह गर्दिश में है
पूर्ण चाँद के दबिश में है,
(अब उसको कैसे देखें
आओ उसे महसूस करें...)

इन सितारों का जीवन
कई पहेलियों से भरा है,
हर एक सितारा यहाँ
कई सितारों से घिरा है ।

कहीं कोई तारा घुट रहा है
कहीं कोई तारा टूट रहा है ।।

- आलोक-