
या देखकर क्या सोचते हो ?
क्या तुमने अपने चिंतन में कभी उसे महसूस किया है ?
गौर से उसकी ओर देखो....
कभी आसपास के सितारों को
देख रहा है,
कभी धरा पर नज़र फ़ेंक रहा है
कि लोग उसे क्यों देख रहे हैं ?
कभी सूय ताप लेकर आ चमकता है,
कभी चाँद दर्प लेकर आ धमकता है ,
कभी बादल, कभी बिजली, कभी बारिश,
पता नहीं....वह कब संभलता है !
आज वह गर्दिश में है
पूर्ण चाँद के दबिश में है,
(अब उसको कैसे देखें
आओ उसे महसूस करें...)
इन सितारों का जीवन
कई पहेलियों से भरा है,
हर एक सितारा यहाँ
कई सितारों से घिरा है ।
कहीं कोई तारा घुट रहा है
कहीं कोई तारा टूट रहा है ।।
- आलोक-
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