प्रेरणा बनके मैं दुनिया की
प्रेरणा अपनी मैं खो दिया हूँ।
राहों में सबके ये दीपक जलाए
मन का अँधेरा मिटा नहीं पाया,
और उन अंधेरों में राहों को ढूंढता
ठोकर हमेशा मैं खाके जिया हूँ ;
प्रेरणा बनके मैं दुनिया की
प्रेरणा अपनी मैं खो दिया हूँ।
सागर में मथनी चलाने वालों
अब मेरे पास वापस न आना,
सागर से अमृत निकले, न निकले
विष जो भी निकला मैं ही पिया हूँ;
प्रेरणा बनके मैं दुनिया की
प्रेरणा अपनी मैं खो दिया हूँ।
Friday, April 10, 2009
Friday, April 03, 2009
कोई मुझे आवाज़ न दो
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ न दो;
उन आंखों में कोई सपना था
उन सपनों में था नाम तेरा,
तेरे नाम का मैं दीवाना था
तू शमां थी मैं परवाना था ;
अब तन्हा मुझको रहने दो
तन्हाई ये आबाद न हो ,
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ न दो ।
कोई मुझे आवाज़ न दो;
उन आंखों में कोई सपना था
उन सपनों में था नाम तेरा,
तेरे नाम का मैं दीवाना था
तू शमां थी मैं परवाना था ;
अब तन्हा मुझको रहने दो
तन्हाई ये आबाद न हो ,
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ न दो ।
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