Friday, April 03, 2009

कोई मुझे आवाज़ न दो

आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ न दो;

उन आंखों में कोई सपना था
उन सपनों में था नाम तेरा,
तेरे नाम का मैं दीवाना था
तू शमां थी मैं परवाना था ;
अब तन्हा मुझको रहने दो
तन्हाई ये आबाद न हो ,
आज पुरानी राहों से
कोई मुझे आवाज़ न दो ।

1 comment:

Sumi said...

Dil ko chhoo gayi aapki ye rachna.