इस वैरागी जीवन में
एक राग सुना दो
तुम आकर,
मेरे मन की उलझन के
कोई राज बता दो
तुम आकर;
मेरा मन कटी पतंग सा
भटक गया आसमान में,
इसकी कोई डोर किधर
एक बार बता दो
तुम आकर;
मेरे सपनो की नौकाएँ
भटक गयी सभी दिशाएँ,
इन नौकाओं में सुन्दर
पतवार लगा दो
तुम आकर;
इस वैरागी जीवन में
एक राग सुना दो
तुम आकर,
मेरे मन की उलझन के
कोई राज बता दो
तुम आकर।
एक राग सुना दो
तुम आकर,
मेरे मन की उलझन के
कोई राज बता दो
तुम आकर;
मेरा मन कटी पतंग सा
भटक गया आसमान में,
इसकी कोई डोर किधर
एक बार बता दो
तुम आकर;
मेरे सपनो की नौकाएँ
भटक गयी सभी दिशाएँ,
इन नौकाओं में सुन्दर
पतवार लगा दो
तुम आकर;
इस वैरागी जीवन में
एक राग सुना दो
तुम आकर,
मेरे मन की उलझन के
कोई राज बता दो
तुम आकर।
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