खेतों में, खलिहानों में,
पीपल पेड़ों की छावों में,
रहीमा-रमुआ की नावों में
घूम रहा मैं गावों में;
जहा अभी चुनावी हलचल
बादल बनकर गहराया है,
जनता में जनमत की लहर
सागर के सम लहराया है;
आरक्षण की अद्भुत महिमा
अपना भी रंग जमाया है,
पंचायत की आधी सत्ता
सबला के हाथ थमाया है;
वो सबला जिनके चेहरे पर
अबतक थी लज्जा की लाली,
निकल पड़ी घर के बाहर
कहकर जय अम्बा जय काली;
फ़िर भी दिखता है कुछ-कुछ
जंजीरें इन पावों में,
उम्मीद प्रबल पर बदलेगी
तस्वीरें इन गावों में.
Sunday, May 28, 2006
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4 comments:
nice one....but dont use 'abla'...patanonmukh na bano....feales are not 'abla' now...[:)]
ho ho ...usko sabla kar diye :P
abhi main aapse vivaad karne se bachna chaahta hoon :))
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