Friday, January 19, 2007
मजदूर
जिसकी कला को संसार सराहे
वो फन का माहिर मजदूर है,
जिसके जौहर की मची है धूम
वो कामगार मजदूर है,
माटी से जो फसल उगा दे
वो अन्नदेव मजदूर है,
एक पत्थर को जो ताज बना दे
वो शिल्पकार मजदूर है,
एक पत्थर को जो ताज बना दे
वो मजदूर बड़ा मजबूर है,
एक पत्थर को जो ताज बना दे
एक रोटी से वो दूर है
एक पत्थर से जो ताज बन जाए
बनता मालिकों का गुरूर है,
एक पत्थर को जो ताज बना दे
एक रोटी से वो दूर है.
iitb presents in chaos 07 ...this is my part...interesting....but sorry we miss the street-play compt due to bad-luck in travelling.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment