जो बाँध चुका अपना तन-मन,
व्यावहारिकता का ये बंधन
जो रोक चुका अपना जीवन;
बंधन का कुछ करना होगा
जीवन से ही लड़ना होगा;
साँसे लेना इस जीवन में
सिर्फ़ महत्वपूर्ण नहीं है,
खुलकर जबतक जी न लो
जीवन ये पूर्ण नहीं है;
उस जीवन से भी डरना होगा
जीवन से ही लड़ना होगा;
शायद एक कोई कल्पना
जिसे अब मान चुका बचपना
जीवित उसको करना होगा
जीवन से ही लड़ना होगा ....- Poet here lost his all inner desire-
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