Friday, March 30, 2007

बंधन

कृत्रिमता का ये बंधन

जो बाँध चुका अपना तन-मन,

व्यावहारिकता का ये बंधन

जो रोक चुका अपना जीवन;

बंधन का कुछ करना होगा

जीवन से ही लड़ना होगा;


साँसे लेना इस जीवन में

सिर्फ़ महत्वपूर्ण नहीं है,

खुलकर जबतक जी न लो

जीवन ये पूर्ण नहीं है;

उस जीवन से भी डरना होगा

जीवन से ही लड़ना होगा;


शायद एक कोई कल्पना

जिसे अब मान चुका बचपना

जीवित उसको करना होगा

जीवन से ही लड़ना होगा ....

- Poet here lost his all inner desire-

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