मैं एक ढलता सूरज ही
पर कोई तो दिया दिखाओ!
बाल रवि बन जब आया था
नव सृष्टि में भरा उल्लास,
लाल छवि बन जब छाया था
हर दृष्टि में भरा विश्वास;
मैं एक उगता सूरज भी था
सब करते थे मेरा अभिनन्दन,
चारों दिशा में चहल-पहल थी
सब करते थे मेरा स्तुति-वंदन;
जलने लगा मैं अनल-पुंज बन
करने सकल विश्व आलोकित,
इस जगती की सेवा कर-कर
होने लगा ह्रदय मेरा पुलकित;
फ़िर दग्ध हुआ पुलकित ह्रदय
मेरा ताप, मेरा अभिशाप बना,
था जप रहा जो मंत्र मैं
किसी काल-मंत्र का जाप बना;
फ़िर धरा तपी, ये गगन तपा
और तपा ये जगत चराचर,
दग्ध ह्रदय मेरा टूट-टूट कर
लावा बन-बन बिखरा भू पर;
जगती जलकर भस्म हुई
मैं भी जलकर सूख गया,
ज्वाला अंदर की खत्म हुई
मैं अन्दर से टूट गया;
लज्जित मन में पश्चाताप भर
अस्ताचल में ढल रहा हूँ,
अतीत के पल को याद कर-कर
मदिर-मदिर मैं जल रहा हूँ;
एक चाँद चमकने दो कोई
जो जला हुआ उसे न जलाओ,
मैं एक ढलता सूरज ही
पर कोई तो दिया दिखाओ!!
पर कोई तो दिया दिखाओ!
बाल रवि बन जब आया था
नव सृष्टि में भरा उल्लास,
लाल छवि बन जब छाया था
हर दृष्टि में भरा विश्वास;
मैं एक उगता सूरज भी था
सब करते थे मेरा अभिनन्दन,
चारों दिशा में चहल-पहल थी
सब करते थे मेरा स्तुति-वंदन;
जलने लगा मैं अनल-पुंज बन
करने सकल विश्व आलोकित,
इस जगती की सेवा कर-कर
होने लगा ह्रदय मेरा पुलकित;
फ़िर दग्ध हुआ पुलकित ह्रदय
मेरा ताप, मेरा अभिशाप बना,
था जप रहा जो मंत्र मैं
किसी काल-मंत्र का जाप बना;
फ़िर धरा तपी, ये गगन तपा
और तपा ये जगत चराचर,
दग्ध ह्रदय मेरा टूट-टूट कर
लावा बन-बन बिखरा भू पर;
जगती जलकर भस्म हुई
मैं भी जलकर सूख गया,
ज्वाला अंदर की खत्म हुई
मैं अन्दर से टूट गया;
लज्जित मन में पश्चाताप भर
अस्ताचल में ढल रहा हूँ,
अतीत के पल को याद कर-कर
मदिर-मदिर मैं जल रहा हूँ;
एक चाँद चमकने दो कोई
जो जला हुआ उसे न जलाओ,
मैं एक ढलता सूरज ही
पर कोई तो दिया दिखाओ!!
6 comments:
hi alok,
mein orkut se tumhare is blog taak pahuchi. tumhari ye kavita - dhalta suraj ke baare mein bahut achhi laggi! :) keep it up!
badhiya hai par yeh suraj dhalne kab se laga.....
"I really liked the characteristics that u have given for an ideal lover...I have most of them but i shall try to imbibe the remaining ones...[:)]"
shd I laugh on this one....=))
arey tumhari kavitaein ati sundar hain par ek baat hai ki
Agar tum ise roz update karo to
aur behtar lagega!!!
keep it up dude!!!
phir milenge
bye
sorry to comment here after such a long time .... but vikas you should respect your friend's sentiment.. aur alok iske baad koi kavita kyun nahi likhi ?? eagerly waiting for some of your creations, take care,
reshmi
aap jaise suraj ko diya kaun dikhaega prabhu.
waise suraj dhal nahi sakta wo chhip gaya hai kuchh der ke liye.aur dusari duniya ko ujala de raha hai.
ye jagti jal-jal bhasma hui
main par bilkul toot gaya,
jwaala ander ki khatma hui
main phir bilkul sookh gaya.
these lines were mindblowing.
hila diya guru.macha diya.
kalam aise hi chalte raho aur thoda hume bhi apne ujale ka anand lene do.
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