बचपन में अपने गाँव में
आम के पेड़ों की छाँव में
मिट्टी पर मैं लोटना चाहता था
गिल्ली-डंडा खेलना चाहता था
तो माँ ने मना किया
कि तुम तो
अच्छे बच्चे हो
बिगाड़ जाओगे,
और मैं मान
कुछ बड़ा होकर स्कूल में
मस्ती की भूल में
भागकर सिनेमा देखना चाहता था
गाली-गलौज करना चाहता था
तो शिक्षकों ने मना किया
कि तुम तो
अच्छे बच्चे हो
बिगड़ जाओगे ,
और मैं मान गया ....
कालेज में जब आया
मन मेरा भी भरमाया
किसी ने नही समझाया
……...................
पर मैं तो
अच्छा बच्चा हूँ
बिगाड़ जाऊंगा …
और मैं मान
-The Superego is related to your childhood-
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