Thursday, July 24, 2008

बरसात की इस रात में

बरसात की इस रात में
कहना है तुमसे बात एक ,
सुन सको तो सुन लो तुम
कहता हूँ तुमसे बात एक

बरसात की ये बूँदें आज
बिखरी है देखो तिनकों पर,
चुन सको तो चुन लो तुम
जिसमें दिखे विश्वास एक

विश्वास है ये बूंद की
कि वह रहेगी बूँद ही,
जब तक सिखला दे हमें
प्रेम का नया पाठ एक

बरसात की इस रात में
कहना है तुमसे बात एक

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना है।

शोभा said...

विश्वास है ये बूंद की
कि वह रहेगी बूँद ही,
जब तक न सिखला दे हमें
प्रेम का नया पाठ एक ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है। बधाई।

Anonymous said...

Very good......