skip to main
|
skip to sidebar
आलोकित संसार
Saturday, January 28, 2006
अभी तो सिर्फ शुरुआत है
अभी-अभी स्टार्ट किया हूँ
क्या कहूं अपने बारे में,
ये मेरी दुनिया है दोस्तों
जानो कुछ मेरे बारे में
.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आलोकित संसार
About Me
आलोक कुमार
IRPFS 2015 (CSE 14)
View my complete profile
My English Writing
Social Currents
इन लहरों से टकराकर
कश्ती टूटे साहिल छूटा,
इन शहरों में तो आकर....
मैं
एक
चितेरा
इस
युग
का
पकड़
तुलिका
हाथों
में
रंग
बिखराता
हूँ
जीवन
के
इस
कैनवास
पर
इन सितारों का जीवन
कई पहेलियों से भरा है,
हर एक सितारा यहाँ
कई सितारों से घिरा है ..
मैं एक उगता सूरज भी था
सब करते थे मेरा अभिनन्दन..
मानो
पूनम
की
रात
है
और
मन
समुद्र
बनकर
ज्वार
-
भाटा
खेल
रहा
है :
)
समाज
से
कह
दो
मेरी
छवि
छीन
लें
अब
मैं
आत्मछवि
अपना
रहा
हूँ
....
ये
IIT
की
जिन्दगी
भी
जिन्दगी
है
क्या
?
साँस
लेने
तक
की
, फ़ुरसत
नहीं
यहाँ
.
सपनो की नौकाएं आती
जीवन रुपी सरिता में,
साहस का पतवार थामकर
नाविक कोई उतरता है;
Search This Blog
Blog Archive
►
2015
(1)
►
January
(1)
►
2013
(4)
►
May
(1)
►
April
(3)
►
2009
(17)
►
November
(1)
►
October
(3)
►
September
(7)
►
August
(1)
►
April
(2)
►
February
(2)
►
January
(1)
►
2008
(11)
►
November
(2)
►
October
(1)
►
September
(3)
►
July
(4)
►
March
(1)
►
2007
(27)
►
November
(1)
►
October
(1)
►
September
(2)
►
August
(1)
►
June
(1)
►
May
(2)
►
April
(4)
►
March
(3)
►
February
(8)
►
January
(4)
▼
2006
(44)
►
December
(8)
►
October
(1)
►
September
(3)
►
August
(10)
►
July
(2)
►
May
(4)
►
April
(3)
►
March
(1)
►
February
(4)
▼
January
(8)
प्रेम-संवाद
तुम
नन्हा-खिलाड़ी
सपने जो पूरे ना हुए
असफलता भी कुछ बतलाती है
अन्दर की झिझक
मैं और पत्थर
अभी तो सिर्फ शुरुआत है
No comments:
Post a Comment