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आलोकित संसार
Thursday, December 21, 2006
मैं भूल चुका हूँ
बीती बातें मत
याद दिलाना
मैं भूल चुका हूँ,
जख्मो पर मत
नमक लगाना
मैं भूल चुका हूँ,
कितने फांसी के
तख्तों पर
मैं झूल चुका हूँ,
पर गलती मत
याद दिलाना
मैं भूल चुका हूँ।
1 comment:
Vikash
said...
good
2:58 PM
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आलोकित संसार
About Me
आलोक कुमार
IRPFS 2015 (CSE 14)
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Social Currents
इन लहरों से टकराकर
कश्ती टूटे साहिल छूटा,
इन शहरों में तो आकर....
मैं
एक
चितेरा
इस
युग
का
पकड़
तुलिका
हाथों
में
रंग
बिखराता
हूँ
जीवन
के
इस
कैनवास
पर
इन सितारों का जीवन
कई पहेलियों से भरा है,
हर एक सितारा यहाँ
कई सितारों से घिरा है ..
मैं एक उगता सूरज भी था
सब करते थे मेरा अभिनन्दन..
मानो
पूनम
की
रात
है
और
मन
समुद्र
बनकर
ज्वार
-
भाटा
खेल
रहा
है :
)
समाज
से
कह
दो
मेरी
छवि
छीन
लें
अब
मैं
आत्मछवि
अपना
रहा
हूँ
....
ये
IIT
की
जिन्दगी
भी
जिन्दगी
है
क्या
?
साँस
लेने
तक
की
, फ़ुरसत
नहीं
यहाँ
.
सपनो की नौकाएं आती
जीवन रुपी सरिता में,
साहस का पतवार थामकर
नाविक कोई उतरता है;
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