अटल बिहारी के वैवाहिक विज्ञापन की कुछ झलकियाँ प्रस्तुत हैं....
मत समझो मेरी उम्र गई
अब भी मुझमें यौवन संचय,
हिंदू तन-मन,हिंदू जीवन
रग-रग हिंदू मेरा परिचय;
आजन्म ब्रह्मचारी,न ही कोई कन्या निहारी
अब चाहिए उसे कोई सुकोमल सुकुमारी,
सुशील,सुंदर और शुद्ध शाकाहारी.
(ह्म्म्म्म्म...बीच की बातें नही लिखूंगा...गंदे-गंदे थे..शर्म आ रही है)
अंत में...
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ,
गीत नया गाता हूँ-२
शादी करने को आता हूँ-२
Sunday, August 06, 2006
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1 comment:
you qualified....congo. :)
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